और वो फरिश्तों का शहज़ादा
मिले कुछ यूँ किसी मोड़ पर कि
अभी बाकी था रास्ता आधे से ज्यादा
मिल तो चुके थे ये पहले भी कई बार यूँही
आज तो मिलना हुआ था यूँ अनायास ही
नहीं तो भूले-भटके एक-दूजे को याद कर लिया जाता
मग़र आजकुछ हुआ यूँ कि सारी यादें हो गईं ताज़ा
जाने ये कैसी मुलाक़ात थी
जिसने भी देखा, कहा कुछ ख़ास थी
फ़रिश्ते कुछ मौन थे तो
परियां कुछ गंभीर थीं
जब मालूम हुआ कि बात क्या थी
तो भी सबकी आँखें कुछ नम थीं
मग़र ग़मगीन नहीं, साथ में
अधरों पर मुस्कराहट भी थी
जानते हो क्यूँ, क्यूंकि
ये मुलाक़ात ही कुछ ख़ास थी
क्यूंकि आज वही हुआ जिसकी
सबको बरसों से आस थी
आज तलक उनके बीच केवल दोस्ती थी
मग़र अब ये रिश्तों कि डोरी और भी गहरी थी
क्यूंकि आज तलक जो संग खेले थे
अब वो संग जियेंगे भी
इस फलक से उस फलक तक
हर दिशा के दरमियाँ आज
बस खुशियाँ ही खुशियाँ थी
फरिश्तों का शहज़ादा अब परियों का राजा था
परियों कि रानी अब फरिश्तों कि शहजादी थी
आज हवाओं को घूमने कि आज़ादी थी
तो क्षितिजपर ज़मी गगन से जा मिली थी
नज़ारे तो हसीं होने ही थे
दो हसीं नज़रें जो मिली थी
यही ज़माने कि सबसे हसीं मुलाक़ात थी
kya baat hai.
जवाब देंहटाएंmarvelous
thank you so much dear :)
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